जैसळमेर—

धरती फाड़'र ऊगौ

रेगिस्तान री छाती माथै

सोनै रौ रूंख

नित री अबखायां माथै

मिनख री जीत रौ दरसाव

दसूं दिसावां

जैसळमेर—

तपती सोनल रेत री धूणियां

जांणै किण साधना में

लीन है स्हैर

पीळी तेज पळपळाट करै

च्यारूंमेर

तापसी है बासिन्दा

तापसी जीव-जिनावर

भीतां कुरियोडौ है

तप पर तेज रौ इतिहास

जैसळमेर—

पाणी नीं मर्यो अजै

जदकै

काक नदी रूसगी,

पलटगी

अर छोड़गा निकेवळा दो किनारा

नदी री पाळ ऊभी

मूमल री मेड़ी

निरखै है

नदी रै सूखै पाट नै अजै तांई।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच पत्रिका ,
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा
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