मन थारो हो
उणसूं थूं सुपना देख्या
पण मन रा सुपना!
थारी आंख्यां आगै
अंधारो हुयग्यो
सुवारथ रो पड़दो पड़ग्यो...
थारो आपो
थारै माथै चढग्यो
इणी खातर
थूं रेत मांय रळग्यो!