ऊनाळा मअें

मौटा साब

मंदिर मअें माथू नमावै अेम

माथू नीचू करीनै

टापरी मअें आव्या हता

रोटला-कढी खाधी

टूटी खाटली माथै बैहीने

घणं फोटं खेचाव्यं

चौमासा मअें छांट नी

धार न्हें वेंठी सकी

माटी नी भैंत

काच वजू वखैराई ग्या

टापरी ना डांडा अर थापड़ा

हाकीम अर सेवाभावी आव्या

कागदं लखीनै लईग्या

सैयोग नी धरूस आली

आठ मईना थईग्या

डागरा नीचे र्‌हैतै

फरीनै कुंणै न्हें आव्यू

अजी तौ पूछे हैं

घोर नूं सरनामू।

स्रोत
  • सिरजक : भोगलाल पाटीदार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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