भलां ई खोवाय जावै धुंधळका में
किणी सवाल रौ पडूतर
पण वौ व्है तौ छै
मनोमन किणी आका नै दिरीजती गाळियां में
इण सारू मूंन
सगळी ठौड़
किणी आपसूं अपरबळी री धसळां सूं
नीं जलमें
कदै-कदास
दोय आदमियां बिचाळै
के पछै व्यवस्था बिचै
करण नै कीं बात नीं व्है
तौ वठै जलमें
हाका-धाकां, गाजां-बाजां
कदैई
खुद सूं खुद री बातां रै अलोप व्हियां
पूठै
लारै रैय जावै
वा ई मूंन इज बाजै