नवौ पातसाह औ ई नीं जांणै
के किणी नागरिक रौ बीह
अगन-परख सूं नीं भागै
भलां ई आपरा राज रौ नांव
रामराज राख देवौ
यूं नांव बदळण सूं केई बातां व्है
पण रैयत तौ इत्तौ-सोक चावै
राजगादी माथै खड़ाउवां नीं व्है
क्यूंके वा जांणै के जूत
दूजी भांत रौ बीह जगावै!
बापू!
नवा नांव में आप वाळौ रामराज
अबै इत्तौ बदरंग छै
के आप खुद देखौ
तौ ओळख नीं सकोला
अबै कोई बुद्धिजीवी के कलाकार
कागद मांड देवै पातसाह नै भली राय रौ
तौ वांरै माथै मुकदमौ चालै
वौ कैवै—आपां रै अठै
अधरम हरमेस चालतौ रह्यौ छै
बापू, कांई इणरौ अरथ औ नीं व्है
के आपां रै धरम रौ मारग नीं छौ
वौ कैवै-आपां रै अठै असत् हरेक काळ में छौ
तौ इणरौ अरथ के सत् रौ मारग नीं छौ
बापू!
वौ पातसाह अबै स्सै कीं उलटणौ सीखग्यौ छै
पूरी चतराई सूं
इतियास, भूगोल नै
साहित्य, संगीत नै
इण गत के लोग जांणै-जांणै
जित्तै तौ बदळीज जावै चीजां रातूंरात
वौ पातसाह अबै चावै
के पळट दिया जावै लोकाख्यान
अठा तांई के प्रेमाख्यान तगात
बापू!
वौ चावै के देस री सगळी प्रजा
रैयत में बदळ जावै
अर वा इण बात रौ पतियारौ करै
के प्रथमी रा गोळा री उपरली पुड़त रै ठंडी व्हैतां ई
लागण लागगी छी
रूंख री साखां रै पैलां ई साखा
‘रफाल’ रै पइड़ां धकै धरौ लींबू
‘दोखी री निजरां लागणी’
कालै वै कैवैला
चांद माथै सै सूं पैली जावण वाळौ म्हांरौ सेवक छौ
धकै सूं चांद रौ वासी ‘चिंदु’ गिणीजैला
भलांई कोई जात रौ व्हौ!
बापू!
वौ चावै के सगळी रैयत
म्हारी वाचा रौ पतियारौ करै
क्यूंके म्हैं वांरै मन री बात कथूं...
सुण-सुण पूरी प्रजा डरै
म्हनै ई बीह आवै
म्हे सगळा आपरै और सलबै व्है जावां
इत्ता सलबै
ज्यूं ‘थावर’ नै ‘अदीत’
ज्यूं ‘अेक’ नै ‘दोय’
ज्यूं ‘अ’ नै ‘आ’ व्है
बापू!
आपरै डोढ सौवां जलमदिन रै टांणै
बस, औ भरोसौ करणी चावां
के तरवार सूं हवा नीं बाढीजी अर नीं बाढीजै।