आशिफा!

थारै बाळ गळै दम तोड़ती चिराळी

मिंदर में बैठोड़ै भगवांन नीं सुणी

मंगळ अर सयन आरती टाळ

मिंदर में बाजा कद बाजै?

टंकारो, नंगाड़ा, झालर, झींझा सुणतोड़ौ

मिंदर रौ धणी कठै रूधोड़ौ छौ

के आपरै गुंभारै(गरभग्रह) री परकमां में

व्हैतोड़ौ बलात्कार निजर नीं आयौ

उण रूं-रूं में आंख्यां वाळा भगवांन नै

भोग करतोड़ा दूठां नै भाळ

आपरै निज मिंदर में

थूं भोग तौ कांई लियो व्हैला?

थारी पैठ तौ गई, पैली केई वळा

म्हनै इणरी फिकर नीं।

भासावां, रंग, रूप, धरम व्हैला न्यारा-न्यारा

पण अेक अबोध बाळकी री सांस छांडती देही

सगळी भासावां में अेकसार डाडती छी

इत्ता जोर सूं आज पैली कोई नीं डाडियौ पिरथी माथै

के ‘भाइक’ बिना तीनूं लोक गुंजाय दे

नीं कुरजां, नीं माछळी, नीं कोई मानवी।

आवगी दुनिया रा भेळा व्हैय अेकै साथै बाजै नंगाड़ा

तौ कठुआ री इण चिराळी नै नीं डाट सकै।

आठ बरस री बाळ चीख

आठ सईकां लग पीढियां रा कांन फाड़ती रेवैला

मिनखीचारा रै सोगाळै

तापड़ माथै बैठी थोड़ी ताळ छांनी रेवै तौ रेवै

नींतर भाखरां में, वनी में, समदरां माथै

नदियां री कलकल में डाडती

अंतरीख में गूंजती रेवैला!

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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