छाजा सूं लटकियोड़ी उदासी

आस्थाहीण भींत सूं घुट्योड़ी सांसां री

अरथहीण जिनगाणी।

बगत सिसकै

आपरै ढाळै

लेव रै हेटै!

आपसी संबंध

केई कोसां चाल्योड़ा

हार्‌योड़ा पगां री

थकाण-सा लखावै

अस्पताळ री चैळ-पैळ

बूढां मांचै जोवै

आपरी तस्वीर।

झड़ण लागै अंधारौ

धीमै-धीमै। सड़क सारै

उडता पगां री आवाज

संका में घुटती

मधरी पड़ै।

केई निकळै छेद

माथै पर तण्योड़ा आकास में

साव चौगड़दै

चौरावै माथै टंग्योड़ी लास

भीड़ रै धक्का सूं

छुलग्या कांधा।

छिपकली रै

सबदां नै अरथावतौ

बगनौ मिनख।

काळो बायरो

मिनखीचारै नै पूछतौ

आंख टमकातौ।

तकिया रै हेटै

सरीर री गरमी री तपत

गरजमंद रात सूं लड़ै।

म्हैं

सोचूं सुरजी नै

देखण रौ कोड

अब दिनूगै बैगो नीं जगावसी

गजब है

बूढ़ी सांसां रै सारै

दम तोड़तौ गांव।

फीकौ तावड़ौ

कजळायोड़ा मूंडा माथै

भूख री अटल छिब।

अणखावणा-सा

खेत अर बिरछ

चळू पाणी रै भरोसै

नाडी कानीं दौड़ता पग

पसीनै री पापड़ी में

ठस्योड़ा सपना।

भूख रा

भजनां नै चितारती मिनखाजूण।

कुदरत रा लांबा हाथां रा

किस्सा-कहाणी।

साव बोदी भासा

पळ-पळ अमूजतै मन री

थाक्योड़ी आसा

अै डूंगर।

अै ढाडा

नदी।

अै खाळा

आपरौ रंग

पण बदरंग।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह शेखावत ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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