जद जागूं जद
रोजा ई दीखै छै
सहरी करबा की बगत आतां आतां
आंख लाग ज्या छै।
लोगबाग जगावै ई कोई नै,
खुद सहरी कर लै छै
म्हारै पांती तौ
फाका ई फाका छै
म्हूं भारत कौ
समझदार मनख छूं।