प्रेम... सनैव

एक बायरै रौ झोंकौ......

मन मांय पांगरतौ

एक अणदेख्यौ सुपनौ.....

एक-दूजै री हंसी

दुख-दरद रौ आपैई

एक-दूजै तांई पूगणौ......

एक अणमाप

आनंद रौ मैसूसणौ........

आंख्यां आंख्यां सूं

मनड़ै री बातां कैवणी- सुणणी......

सरीर हुवतां थकां

असरीरी हुवणौ .......

आत्मा रौ आत्मा सूं लगाव......

ज्यूं राधा रै दाझणै सूं

किसन रै हुवणा छाळा....

बस खाली-माली

एक अहसास .......

जिणरौ कीं नाम नीं ......

परिभासा नीं .......

इणनै मैसूसणौ

इज प्रेम...सनैव है

स्रोत
  • सिरजक : बसन्ती पंवार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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