जे थूं सुख चावै
पैली म्हारो दुख बांट,
लगावै म्हारै कांम रो हिसाब-किताब
तो पैलां
थारो हिसाब-किताब म्हारी हथेळी धर,
म्हैं प्रीत री जेवड़ी
तौ थूं किनको बण जाय
अकड़ै तो खींचूं
लुळै तो ढील,
थीं जितरो म्हारो
उतरी म्हैं थारी,
सूंवै गेलै चालै तो ठीक
नीं तो ठोसै बैठ
गुड़-गुड़ जाय...।