जिको घणबोलौ है

बड़बोलौ कोनीं

कवि है, बावळौ कोनीं

जिकौ झिकाळ करै

बोली बोलौ

अेकलौ बड़बड़ा वेळा-कुवेळा

अेकूका सबद नै उणरी खाल सूं पकड़

आंख रे अेन पासै ले जावै

ऊपर नीचै सूं परखै

कदैई-कदैई सूंघै अर चाखै

सपना में लारौ करै

भूतिया ज्यूं उडता डोलता सबदां रौ

करै तपास पोथ्यां में

लोगां री बाचा में

लुगायां रै गीतां वाळी भासा में

बावळौ है कवि है

जिको बिखा में खुरदरा

अर सुख सारूं सुंवाळा हेरै

चिड़कली रै उनमान तिणकलौ तिणकलौ भेळौ करै

इण रै किस्यौ गुंवाळा घालणौ है

अर घालै तौ इणरै किस्या ईडा देवणा है

म्हनै ठाह है।

आं सबदा में रोवैला

छीजैला, कळपैला

अबै इण ऊंधा माथा रा नै कुण समझावै

के जिका समझदार स्यांणा व्है

वै गुन्ना व्है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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