गांव

उण डाढ़ोडै शहर री नकल कोनी

है: अेक लघु संस्करण

महानगरी-पोथी रो सार रूप

लोकभाषा मांय करयोड़ो

अनुवाद!

अणगिणती मिनखां री भीड़

अठै कोनी

अठै कोनी: उठापटकी, धक्कामुक्की

मसीनी राकसां रो घमसाण

उणरा पळकारा‘र पड़गूंजां

जाणै

पांचवै-वेद री

नुवैं ग्यान-भेद री

अेक नैनी ऋचा

बेसुरी गायीजती होय!

बारै दीसतो

सोकीं सांच कोनी

झूठ-ई तो कोनी

बो है अेक परीजण

जिको

पाणी मांय रळबां

तरळायी री भांत

सांच‘र झूठ

अेकरूप ओळखीजै!

म्हारली संवेदणा

किणनै

किस्या परवाणां कूंतै?

बूझतो रैय जावैं मन

(ओ मन कंकरी चुग-चुग‘र महल बण्यो है)

डील साथै सायुज्य है

का सायुज्य-प्रयासो

जड़ है चेतण

बूझता रै भिजोक!

इणनै तूटताट जावण द्यो!

होय जांवण द्यो

ढमढेळ!

फेरूं

मन री कांकरी-कांकरी

खिंड़-जावण द्यो!

खिंडळमिंडळ होय-होयनै संधणी

म्हारली पीड़

मन सूं जुड़ रैयी है!

मिनख री जूण

बठीनै मुड़ रैयी है-

जठीनै संस्कृति मुड़ रैयी है!

गांव‘र शहर अेकूंकार होयग्या है

तन‘र नम

धन नै भाळता

दोनूं खोयग्या हैै।

स्रोत
  • पोथी : कूख पड़्यै री पीड़ ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन, रतनगढ़ राज. ,
  • संस्करण : प्रथम