कोरो कागद

निब सूं बोल्यो—

‘क्यूं म्हारा

काळजा डंक

चुभावे है?’

निब पडूत्तर दियो—

‘भाईला,

जदै, मिनखां री

निजर्‌यां आसी।

स्रोत
  • पोथी : अणकही ,
  • सिरजक : कैलाश मण्डेला ,
  • प्रकाशक : यतीन्द्र साहित्य सदन (भीलवाड़ा) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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