थारी

ऊजळी हथाळियां मांय

नीं होवैला

पुन्न

पथरीजियोड़ी आखियां

दीखैला

नरक रौ बारणौ

अथाह जळ मांय

नीं लाधैला

थनै कोई नाव,

जद

आय ऊभैला

आखौ कडूंबौ

काळौ लेय

आलोप होय जावैला

दूजा सगळा रंग

खोसीज जावैला

थारै सूं

थारा सपना

थारी पांखां

थारौ आभौ

परलै री

उण घड़ी मांय

थूं

कीं नी बचाय सकैला मां!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै