डूंगर-मंगरा

मांय कूदती

जळ री धार

जियां

समा जावै

सोनावरणी टीब्बा मांय

नीं छोड़ै

सुरसती सो

कोई सैनांण

इस्यो ही

हुवै

परेम।

स्रोत
  • सिरजक : अंजु कल्याणवत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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