आज रौ दिन

सोन चिड़ी रौ पंख

उड़तौ-घिरतौ खनै आयौ

अर बोल्यौ—चाल, म्हांरै साथै चाल!

थूं चावै वठै थांनै ले ज्यावूं

पटक अठै

पटक चिन्त्या रौ भारौ

म्हांनै तौ चाईजै थांरौ—

भायलाचारौ।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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