अरज लगावां सुणियो बापू!

करै बीनती थांरी धापू

हीरा निपजैं रेत में

पाछा चालो खेत में!!

कांईं रखियो इण सै'रां में

सांस आवै इण घैरां में

रमै हीवड़ौ हेत में

पाछा चालो खेत में!!

कांकरियां री जंगळायत में

धुंधळा आखर इण आयत में

रहवै माणस चेत में

पाछा चालो खेत में!!

मिनख, मिनख जाणै कोनी

मतलब सूं मानवता बोनी

सांच नहीं अपणेत में

पाछा चालो खेत में!!

खेत आपणो गांव आपणो

नीम खेजड़ी ठांव आपणो

गीत गवैं समवेत में

पाछा चालो खेत में!!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : विमला महरिया 'मौज' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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