डरै टाबर

अंधारै सूं

डरतो-डरतो सीखै

नीं डरणौ।

एक दिन

आवै अैड़ौ

धोळै दोफरां

टाबर ओळख लेवै

उजास में अंधारो।

ओळख्यां अंधारो

टाबर-टाबर नीं रैवै

दबण लागै

भार सूं

करण लागै जुद्ध

अंधारै री मार सूं।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : नीरज दइया ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम