चिलको दिन च्यार जीवड़ा

करलै सोच बिचार जीवड़ा

मन मरजी किण री चाली है

गहरो मत कर घ्यार जीवड़ा

पोट खोट री बांधी मन में

बण्यो फिरै हूंस्यार जीवड़ा

तूं जाणै डरगो थारै सूं

बीं में मिनखाचार जीवड़ा

कूड़ कपट रो साथ दियां तो

जद कद बंटाधार जीवड़ा

नुगरां री संगत साध्यां तो

डूबैलो मझधार जीवड़ा

गेलै चाल्यां पार पड़ैली

ऊजड़ मांही हार जीवड़ा

जूणी कैलाश अमोली

मिलै बारम्बार जीवड़ा

स्रोत
  • सिरजक : कैलाश दान कविया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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