दुनिया नांव री टेबल माथै पड़्योड़ौ

काच री अेक गिलास छौ म्हैं

म्हारी कांनी कोई ध्यांन नीं दियौ

कदैई कोई धारीचाही नै नीं देख्यौ के गिलास छूं

जठा तांईं के किणी रा धक्का सूं

म्हैं हेठै पड़ किरच-किरच नीं व्हैग्यौ

जगत में कुण देवै ध्यांन

कोई आपसूं दूजा पराया माथै

इण संसारी में सगळा पराया छै, ओपरा छै

अेक दूजा सारू

कठै कीं नीं व्हियौ

बस, सुणीज्यौ-

‘थूं छै इण सारू

थनै खूटणौ पड़ैला’ कह्यौ किरचियां!

कैवतां पाधरी समझ में आयगी बात

क्यूंके मायड़भासा जैड़ी निपाप भासा में

बोली छी म्हारी किरचियां।

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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