कांच री हरी लाल चूड़ियांळो

गाडो देखूं जद

इण पळपळाटै मांय दिखै

मिनख जमारै री काची मौत।

बाळपणै री पगथळियां मांय

गडियोड़ी किरच्यां

लोही राता पग

नानक्यां रा नाम।

बांरा हरियल सपना,

सांवळी रातां

अर लाल-गुलाबी हांसी रा रंग,

बण जावै चूड़ियां री खनक!

अे चूड़ियां,

जिकी टूटै ठरको लागता पाण

ऊमर बधावैली कींकर?

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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