घूमबो बेफिकर हवा की नाईं

रहबो मौजूद हर जगह हर हाल में

न्हँ आयो।

बे खटके सोबो, निःचन्त

जागबो चिड़ियाँ सरिखो न्हँ आयो।

ले’र ओक मँ पाणी धाप’र पीबो

न्हँ आयो।

मुरझायाँ पाछे डाळ सूँ खरती बेराँ

फूल ज्यूँ मरती बेराँ-मुळक’र जीबो

न्हँ आयो॥

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : अंबिका दत्त ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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