चांदो आवै म्हारै आंगण झांकै आधी रात का
झिलमिल तारा नींद उड़ावै भरम भरे सो भांत का
रळ-मिल नाचै हिरण्यां-किरत्यां आभै आगै मोद करै
मन री बात मनां में राखै जाय छुपै परभात का।
सरवर छळकै निरमल पाणी आवै साथण नाचती
पगडण्डी पर लिख्या पीव रा प्रीत गीतड़ा बांचती
बिण प्याला मतवाली होवै लहर-लहर सूं बात करै
तूं सरवरियै तिरछी रैगी, रैगी नीर उछाळती।
काळी-धोळी बादळी तूं बिन बरस्यां मत जाय
सूखै खेतां बीच फळै ना लेसी धरण लुकाय
घणै हेत री घणी तपन सूं म्हारै नैण तातो पाणी
कींकर सींचूं इण पाणी सूं प्रीत बीज बळ ज्याय।