टाबर रा मूंडा में हांचळ
जांघ उघाड़ी
काळ पराई, वगत बायरी!
आज समझग्यौ
सकळ स्रस्टि रा बीज कठै बीज्या बिरमा जी?
सूंटी सूं निकळणवाळौ वौ कंवळ किसौ है
थूं लांघै इतिहास,मुळकती जुद्ध करावै
जुग-जुग सींचै रगत सूरमा
जद थारै गालां पर थोड़ी लाली आवै
औ साटणिया रूप, रेसमी कमर!
देह री सौरम ओढ्यां
कांमण रा सतदळ रै नीचै थूं सोई है
सीस दियां ई पूग सकै बिरलो कोई है
आ फागणियां सांझ हवा में सीयाळौ है
झड़ै पांनड़ा लीला-पीळा, नवा न ऊगै
सगळौ खेत कटण वाळौ है
टाबर रा मूंडा में हांचळ
जांघ उघाड़ी
काळ पराई, बगत बायरी