अगूणी नाडी रो

कळकळ कर बहतोड़ो जळ

कितरो सीतळ, कितरो निरमळ

तन रो चंचळ

मन रो विकळ

नागण-सी बळ खाती लैरां

म्हारै मनड़ै नै ललचाती

हियै-प्रेम तट सूं टकराती

हिवडै में पीव मिलण री

आस जगाती

जाणै कद म्हारै

मन री प्यास बुझासी?

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : गजेन्द्र कंवर चम्पावत ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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