म्हारा मयला माथै

जारै भी

बीजा ना अहम नौ हथौड़ौ पड्यौ

तौ मयलौ आकळ-विकळ थईग्यौ

जेंम रेत नां वगड़ा मअें

तरस्या वाटमारगू नै

लू नी झापेट लागी

पण

खुसामदी ज्हैर थकी त्यार कीधौ घोंण

पूरी तागत ऊं पड्यौ

तौ मयलौ लेतराईग्यौ

फाटा छेतरा वजू

पण छेतरा नै भी

आपणै फाटा व्हैवा नौ गुमान है

जारै-जारै भी वैना माथै

बईमानी नी थीगड़ी लागै

तारै-तारै व्हौ आपणै आप नै

बोड़ीगामा नौ हीरौ हमजी फरै

नै मयलौ

मय नै मय हेंजरै

पण अैंनें कुण गांठै

मनडू तौ पोमातू फरै है

आजकाल

जी-हजूरी नीं ओण्णी पैहरी

मूंडा माथै

चालाकी नी चमक चौपड़ी थकी

वणी रूपाळी वांहे

पण वा भी अेक दाड़ौ

घाघरा ना जेब थकी

काच काड़ी वताड़ी दै

वैनूं असली रूप

अर मयलौ

पसियातापौ करतौ रई जायै

वणं वनां टोपी वाळं

वांदरं वजू।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : उपेन्द्र अणु ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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