थारै लांबा जोड़ूं हाथ

उनाळा थिड़ी-थिड़ी कर ऊभ

पगलिया लेलै रे!

थारी मावड़ लू बळता खीरां सूं

सींची सगळी रेत जी

थारी आंधी बैनड़ रा रोळा सुण

रूस्या रसिया खेत जी

पाळसियै में जंवरा पूजूं

क्वारै हाथ कळसिया ढोळदूं

म्हारो जतनां चींत्यो थाळ

तीज रो घी सीज्योड़ो खीच

आमली लेलै रे!

थारै लांबा जोड़ूं हाथ...

म्हारी भातो लेजाती भावज रो

रूड़ो रूप ममोलियो

कोढ़ी तावड़ियो भरै चूंटिया

घुरड़ै घिरै भतूळियो

जे तूं बोल बैरी थारै

ओळा अर मखाणा घोळ दूं

म्हारै डोवै रांधी राब

राव में मोळी-मोळी छाछ

सबड़का लेलै रे!

थारै लांबा जोड़ूं हाथ...

म्हारो अणमण पिणघट खड़ो उडीकै

सोनलदै पणिहार नै

म्हारी खूंटी चढ़ियोड़ी ईंढाणी

जोवै है सिणगार नै

जे तूं बोलै तो चौभाटै

रोटी पेड़ा ढाळ दूं

म्हारै आंगणियै रमझोळ

मटक्या मांड्योड़ी अणमोल

उतारो लेलै रे!

थारै लांबा जोड़ हाथ...

उनाळा थिड़ी-थिड़ी कर ऊभ

पगलिया लेले रे

स्रोत
  • पोथी : बाथां में भूगोळ ,
  • सिरजक : हरीश भादानी ,
  • प्रकाशक : धरती प्रकाशन
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