पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

पूत वार दियो जलमभोम पै

राजधरम रो इस्यो ग्यान कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

बनवीर भूलग्यो छात्र धरम

लालच में नांव डुबोय दियो

तूं दासी होय’र देसभगती को

अैड़ो भाव कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

सगळा सेवक आंधा होकर

अन्याव रै साम्हीं सर झुका दियो

तूं बण सिंहणी साम्हीं घिरगी

अतरो बळ-हूंस कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

काळजा रा टुकड़ा कर’र

निज हाथ सूं बेटो गमाय दियो

वचन निभावण खातर

रघुकुळ री सीख कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

पूत-रगत री धार पगां जद लागी

अमर रैवण रो आसीम दियो

मातृधरम अर देसधरम रै संगम रो

पवित्र भान कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

चंदन जोग दूध सूं अे मायड़ तूं

मेवाड़ सगळो सींच दियो

देस री खातर अे भगतण तूं

इतरो नेह कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

धरती जितरो दुख झेलण नै

हिमाळो छाती पै धर दियो

आंसूड़ै रा झरणा रोकण तांई

सब्रां रा बांध कठै सूं ल्याई

पन्ना, तूं इत्ती करड़ी छाती कठै सूं ल्याई

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : सरला सोनी ‘मीरा कृष्णा’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि शोध संस्थान (राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़)
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