दादीसा नीं है
घर में पण आज भी
भंवै दादीसा री ओळयूं।
याद घणेरी आवै
म्हारै घर री बाखळ
फ़ळसै रै दरूजै
भोगळ-कूंटा अर बिलाई
साळ सारलै ओरै री
जुगां जूनी थळकण।
काचो अणलीप्यो आंगणों
जोवै कैखळ नै
सोधै म्हारी दादीसा री
नरम हथाळी नै
सफ़ो गुम्भारो
हाल उड़ीकै
उण रै हाथ थमी
उण सागण बुहारी नै।