म्हारै चक सूं
निकळती
नहर री
नानी है-
एक नदी!
नांव सुरसरी
जिणरो पावन जळ
जरीकन में घाल’र
पूजा रै थान में
राखै मा...
इण नहर रो पाणी
रळ्योड़ो है
म्हारै रगत में।
मा मुजब-
बा उबारै पाप सूं
बाबो बतावै-
आ उबारै भूख सूं।