1

पोतै नै गोद लेवता ई
दादी रै फाटेड़ै बुगचै सूं
चाणचकै ई पड़ग्यो
ठीकरी होयोड़ो सबद
'त्या'!

2

डाडो राजी होयो म्हूं
जद भोत दिनां बाद
की बोर्ड मांय
छेकड़ लाध ई ग्यो
'ळ' !

3

णमोकार सुणताई
हरख बापरयो अंतस घट
चेतना जाग उठी
कद है खाली
आपणी वर्णमाला रो
'ण'!

4

बरसां सूं रूस्योड़ो खेत पाड़ौसी
करोनियै रै खुड़कै मांय
चाणचकै आय उभ्यो ढाणी
रामरमी करतो बोल्यो
काल, म्हारलै खेत मांय करस्यां
'ल्हास'!

5

मा रै दायजै री
संदूकड़ी फिरोळतां लाधी
पइसै टक्कै सूं बेस्सी चीज
'चिरमी!

6

ढेरियै कात्यै सूत सूं
बणयोड़ै मांचै नै
झोळी होंवतां देख
दादो रीसां बळता बोल्या
थारी कसणी पड़सी
'दावण'!

7

पैलपोत
कुण घड़या
हेला मारता सबद
जिका अजै तांई पाड़ै
ब्रह्मांड मांय
'बोकल्डा'!

स्रोत
  • सिरजक : हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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