अै जाणै है सगळी बातां

धरणी सूं आभै तांई

उणै खूणै री

लारली आगली

चांदै सूरज अर हवा पाणी री

आभै रै इत उत री

अै सैयो है दिन रो अमूझो

अर अंधारी रातां रो खुबणो

अै भाळी है इतियास री इति

अै भोगी है पीड़ा अणमीती

आंरै रगत में रळ्योड़ी है

माटी री सौरम।

बोली बाणी री मरजाद

अै ईज है बरकत, सलाम, रफीक, अब्दुल,

जब्बार अर सफीउर रहमान

जका आपरी मातभासा बांग्ला रै खातर

सूंप दी जुवानी

अर सूंप दिया प्राण

जिणसूं ईज बणी है

मातभासा री ओपती मीनार

जकी ऊभी है ढाका रै चौगान

बण्योड़ी आकासदीप

सगळै संसार रै

मातभासा हेताळुवां सारू

अै ईज है 'अवारी’ रा

रसूल हमजातोव

जिणां नैं चितारतां

सगळै संसार री मांवां रै

सूखै हांचळां

उतर आवै दूध

आपरै सपूतां खातर

अै ईज है 'सारै' री लीचो

जकी करती रैई बंतळ

अेकली आपरी मातभासा सूं

पंचभूत में मिलण री छेहली वेळा तांई।

स्रोत
  • पोथी : मुळकै है कविता ,
  • सिरजक : प्रकाशदान चारण ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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