दिनूगै जावै गुवाळिया

सिंझ्या पूठा आवै इज है!

थूं गयो हो गायां लेय'र

सूनो करग्यो मन रो आंगणों...

पाछो बावड़्यो नीं

चेतन नीं हुयो दिवलो

नीं हुयो च्यानणो।

स्रोत
  • पोथी : तीजो थार-सप्तक ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित 'कागद' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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