म्हे तो हां झुणझुणियां भाया,

जिको बजासी बाजस्यां।

म्हे बीं रा

बण जास्यां म्हां नै

जिको उठासी

बिलमावण री

कोसीस करांला

जिको बजासी

बीं रा गुण

गास्यां म्हे तो

जिण रै हाथ विराजस्याँ।

कदे अठै अर

कदे बठै म्हे

कितरै हाथ बिक्या

थां री इच्छावां रै

दम पर

म्हे कैस्यो तो चुप बैठ्या हां

चाबी भरदो भाजस्याँ।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मंगत बादल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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