म्हारो मन्न

म्हारो मन्न

जोगी कै फकीर

नदी रो नीर

बैवतो रैवै

फिरै

भटकतो

म्हारो मन्न

हेमाळै रो हिम

जम्मै

अर

पीघळै

म्हारो मन्न

नान्हो टाबर

कणाई रोवै

कणाई लेवै आड़ो

कणाई

हंस देवै

म्हारो मन्न

रूंख रो फूल

कूंपळ ज्यूं फूटै

बगतसर खिलै

अर कुम्हळीज ज्यावै

खिंडावतां

आस रा बीज।

स्रोत
  • पोथी : भींत भरोसै री ,
  • सिरजक : सत्येंद्र चारण ,
  • प्रकाशक : वेरा प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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