म्हैं आवूंला जरूर-जरूर

थारी सोगन

जरूर आवूंला

डूंगर हर्‌या-भर्‌या

नी हुवै तो कांई

तीजां नै कोटड़ी रै मांय

आमली रै डाळै

हींडो नी घलै तो कांई

गणगोरयां ने पीपळा तळै

घोड़ा नी दौड़े तो कांई

म्हैं आवूंला जरूर-जरूर

थारी सोगन

जरूर आवूंला

अब कुण जाता होसी

भैरूजी री डूंगरी माथै

उतारबा निसांण

कुण सजता-धजता होसी

मरोड़ में वार-तिंवार

अब कुण करता होसी

खरगोसां-सूरां री गोठ

म्हैं आंवूला जरूर-जरूर

थारी सोगन

जरूर आंवूला

स्यात अब भी

आती होसी लुगायां

नौकरी सूं आयोड़ा लोगां रै घरां

मूंडो देखण सारू

स्यात अब भी

जड़ती होसी ताळो लुगायां

दारू पीवण सारू

म्हैं आवूला जरूर-जरूर

थारी सोगन

जरूर आंवूला

कोई रावळै रै माय

अब भी मंडती होसी गैर

अब भी भागता होसी

लेवण नै खोपरा बधाईदार

म्हारै तांई करजै

थोर रा पातड़ां रो साग

अर मेसी रोटी

थूं मतना उड़ाजै

चौबारै बैठ्यो काळो काग

म्हैं आंवूला जरूर-जरूर

थारी सोगन

जरूर आंवूला।

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन
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