मन री ड्योढी तांई आय’र

क्यूं कतरा जावौ हो

ताता तावड़ा में बादळी ज्यूं

क्यूं छियां कर जावौ हो

ख्याला मांय साथै चालता-चालता

क्यूं गायब हो जावौ हो

मन री ड्योढी तांई आय’र

क्यूं कतरा जावौ हो

मन रा अंधियारा आंगणां में

यादां रा दीप जळा जावौ हो

नित सपना में आय’र

क्यूं गदरा जावौ हो

मन री ड्योढी तांई आय’र

क्यूं कतरा जावौ हो

गैर बण’र कतरा जावौ हो

क्यूं अणजाण बण जावौ हो

वफा सूं बेवफाई कर

मिळ’र और बिखरा जावौ हो

मन री ड्योढी तांई आय’र

क्यूं कतरा जावौ हो।

स्रोत
  • पोथी : बगत अर बायरौ (कविता संग्रै) ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : साहित्य सरिता, बीकानेर ,
  • संस्करण : संस्करण
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