म्हारा मीत!
कितराई सजाया फूल
कितरा ई मांड्या मांडणां
मन रै आंगणै
कितरी ई मीठी ढाळां में
गाया थारा गीत
कितरी ई कीनी
मीठी मसखरी।
पण, ओळूं रै उणियारै
थारौ हेत
लुळ-लुळ जाऊं
बाळू रेत
बांध प्रीत री पाळ
राखूं नेह संभाळ।
म्हारा मीत!
म्हैं उडीकूं हूं थांनै
सरवर री डीगौड़ी पाळां माथै
निहारूं
पांणी री लहरां रै बीचोंबीच
जोवूं थारौ उणियारौ
आतम उजास रै मांय
छळकतै निरमळ नीर रै मांय।
म्हारा मीत!
जुग बीत्या ई थांरौ स्नेह
मतवाळौ रहसी
जांणै धोरां रै ऊपर
ऊग्यौ फोग
सांवण री बरसती झड़ां रै ज्यूं
झर-झर थांरौ नेह
भल बूठतौ मेह।
म्हारा मीत!
खेजड़ियां आई
मिमझर री माळ
लकदक व्हैगी है
डाळ्यां लाखीणै लूंख
बोरड़ियां बोलै हंसनै बोल
आकड़िया सिणगारै
इण धरती रौ रूप
सेवण नै चितारै आखौ लोक
रोहीड़ै खिल्या राता फूल
अेक'र भाळ तो सरवर रै कूल।
म्हारा मीत!
आभै में दीसै चिड़कल ढूळ
कुरजां रौ डार
मोरां मांड्यौ आज कळाव
अंतस भरण उमाव
कबूड़ा किणविध बैठै मून
विरंगी कांकड़ां रै मांय
आज पसरायौ अपणास
काग धारै कींकर धीज
उड़ै रंगरळियां मांही रीझ।
म्हारा मीत!
कितराई करूं थांरा कोड
मुळकण लाग्या म्हारा होंठ
कितरै ई सपनां भरी चितार
कितरै ई निजरां हुई निहाल
कितरै ई हिवड़ै भर-भर हूंस
जोयी रह-रह थांरी बाट
सजाई मन-आंगण में हाट
फगत थैं सारूं व्हाला मीत
कितरी ई बार म्हैं
पाछौ जोयौ पाछल फोर
थांरै कंवळ-पगां नै रज रै माथ
मंड्यौड़ा चायौ देखणा।
म्हारा मीत!
म्हारै सिरजण रै संसार
थारी साख
म्हारै कविता री बाखळ
थारौ साथ
म्हारै सबदां री सांची कूंत
थूं इज इक आधार
म्हारै अलंकार रौ जड़ाव
गुण-समदर तणौ भराव
रीति-रस आळी रणकार
झीणै भाव तणी झणकार
बस, थूं इज है म्हारा मीत
आखर-आखर री भणकार।
म्हारा मीत!
म्हैं उडीकूं हूं थांनै
जीवण री परजळती जोत में
धवळ हियै री सांसोसांस
अंतस री ऊंडाई में निरखूं
थांरी अपणायत
जुग बीत्यां ई नीं भूलूं
थारी अणहद चाह
थांरै दरस रौ दरसाव
घड़ी भर ई नीं पांतरू
रह-रह नै चितारूं
अलेखूं रंग समेत
थारौ निरमळ हेत।
म्हारा मीत!
थूं आखी जगती रै मांय
बिरमा रै घड़ियोड़ौ
न्यारौ निरवाळौ रूड़ौ रूप
थांरै करीजी चातर हाथ सूं खांत
जद इज थूं दीसै
घड़ाव रै पांण आगली पांत
इण तरै इज थांरौ
घड़ीज्यौ सुभग सुभाव
नद-नाळा छळकाव।