अेक सबद लिखूं
कागद माथै— मा
अर आगै कीं लिखीजै कोनी।
किणी ओळी बिचाळै
जद कदैई किणी सबद भेळै आय ढूकै सबद मा,
तद ओळी अटक जावै, आगै कीं लिखीजै कोनी।
मा सबद सूं जिकी जातरा सरू हुवै,
बा जातरा हुय जावै बठै ई समपूरण।
जूण मांय जियां स्सौ कीं परोट लेवै मा,
ठीक बियां ई कविता-
मा आगै कीं कोनी...।
बस टाबर रा लिकलिकोळिया
मा खातर कविता हुवै।