म्हारै आंगणै लींबड़ी

जिणरा डाळा आठ

डाळां रै धकै डाळियां

अर डाळ्यां रै धकै छिंवरा

छिंवरां में लींबोळी

पैली खिरी मिमझर

अबै खिरै पंखेरुवां री कुतरयो्ड़ी

काची लींबोळियां

फर-फर बायरै नाचता

लींबड़ी नै बेरौ कोनीं

के उणनै नीचै सूं निरखूं छूं म्हैं निराताळ

जांणण नै के सेवट लींबड़ौ

कड़वौ किण बिध व्हियौ

जमीं री कोगत सूं

पांणी री खमडोळ सूं

के बायरै री मसखरी सूं?

लोग कैवै

के सगळी बीज री कुबद छै

पण बीज सागै कुलंग कुण करै?

उणरै मांय कड़वास कुण धरै?

कांईं वौ ईज

जिकौ सांठा नै मीठौ करै?

म्हैं मध्यकालीन भगत कवि कोनी

जिणसूं कांईं व्हियौ

मणां तेल तिल मांय

अर दारू मज्झ अगन रौ निस्तारौ काढणी चावूं

भगवांन नै अेक कांनी धर

पाधरौ कुदरत री कचेड़ी जावणौ चावूं

जठै पूग

पूछणी चावूं—

जे बीज धरम छै

तौ पछै मिनख कड़वा-मीठा किणबिध व्है?

स्रोत
  • पोथी : तीजौ अयन ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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