(अेक)
दिन आंथ्यां घर लौटबोकतनो सुखद होवै छैसंदी परकत लौट री होवै छैआपणा-आपणा घरबळद, करसो, चिड़कल्यां, बायरोअर दुख।(दो)
म्हैं लौटूं तो अस्यां लौटूंजस्यां लौटै छै ढळती बाती में जीवअर परदेस सूं आया बेटा नै देख’रमायड़ की आंख्यां में आंसू।