मन मंदिर ये सदा बिराजो,
कभी नहीं बिसराऊंजी।
कण कण म्हं सूरत थांकी छ
बैठ्यां दरसण पाऊंजी।
लगन बावली लगी आप सूं
और कछु भी भावे ना।
चतमन केवल थां की यादा
और भाव कछु आवे ना।
थां न छोड़ और दूजां न्ह
कभी नहीं म्हूं ध्याऊं जी॥
आज नहीं तो खा’ल आपसूं
पक्कायत मिलणो होगो।
दिन उगता ही तड़के तड़के
फूल जैया खिलणो होगो।
मिलणी की बगता क पहल्यां
गीत खुसी का गाऊं जी॥