मींच आंखड़ियां, कर अंधारौ

मत अंधारौ सहौ

जागता रहौ

ताकता रहौ

जागता रहौ

सपनां रौ राजा चंदरमा

इमरत पी मर जासी

सोना री जागीरां खोकर सै तारा घर जासी

छिण में उठसी रैणादै रा काळा पड़दा

चन्नाणां री किरणां सूं ठगणी छियां डर जासी

नवी जोत में राख भरोसौ

नवी कहाणियां कहौ

जागता रहौ

सीटी रौ सरणाटौ बाजै

मील मजूरी चालां

खेतां में पंछीड़ा बोलै

हळ रा ठाट संभाळां

हाट हटड़ियां खोलां, दिन री बाळद आई

मैंणत भूखी रहै कालै, इसौ जमानौ पाळां

ऊगै है सोना रौ सूरज

मत आळस में बहौ

जागता रहौ।

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : सत्यप्रकाश जोशी ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण
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