थै घड़ी-घड़ी म्हारो अपमाण ना करो
अपमाण सैवण री भी अेक हद हुया करै—
थै आ ना भूलो।
थां रै ई थप्पड़ रो जबाब
अबै हूं भी थप्पड़ सूं दैवूंला।
(डावै गाल माथै थप्पड खा’र
जीवणो गाल थांरै आगै मेल’र
हूं गाँधी को नीं बणणो चावूं!)
थांरो टेरी कोटन रो सूट
बाटा रा चमचमांवता जूता
रंगील टाई अर चस्मो
ई जुग री फैसन हुवैला
पण खादी रो चोळो अर पजामो
घसीज्योड़ै तळां आळी चप्पल
हूं भी पैर्या करूं हूं।
(हूं नागो कोनीं!)
चैम्बर में थांरी खुरसी माथै पंखो घूमै
घण्टड़ी बजांवता ही
चपड़ासी हाजर हुवै।
पण सुणो—
हूं भी च्यार टांग्यां आळी खुरसी माथै बैठ्यो हूं।
थे हीरा सही
ग्रेफाइट सही
पण हूं भी ‘कार्बन-ग्रुप’ रो हूं।
म्हूं कोयलो हूं
अर याद राखो—
कोई भी कोयलो इत्तो कालो को हुवै नीं
कै जल’र भी लाल नीं हुवै!