प्रेम रै पगोथियै

आपरो पोतियो न्हाखियां

म्हैं न्हाखूं निस्कारा

म्हनै नीं ठा कै

प्रेम री जूण में

आंसू री ओळूं सूं

मोटा व्हिया करै

लोही सूं लळियोड़ा प्रेम-कागद।

छेहली सांस री उफाण में

उकेरीज्योड़ै नांव री छियां

मर्‌यां पछै लारो नीं छोडै

बै हरखै अर निरखै

जोवै अर लुकै

सरमावै लगोलग मिनखजात सूं।

म्हारै हियै अेक भार है

किणी रै नांव रो

उणियारै अर ओळूं रो

म्हैं कीकर बांचूं

कोरा कागद रा लेख

क्यूंकै कोरा कागदां में

व्हिया करै है कोरो प्रेम।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : कमल सिंह सुलताना ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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