ओजूं अेक चाणक्य

कूख मांय आयग्यो है।

जापायत बणैली अबकै

म्हारली भावना

जुगां सूं बांझड़ी-कूख

बणसी अबै अेक फळापतो-रूंख

आंगणै बाजसी सोवनथाळ

फेरूं कोई नीं कैय सकै

कुसमो-काळ!

मानखै रो स्वाभिमान गासी मंगळगीत

होवै लागी अबै परतीत!

औजूं अेक चन्द्रगुप्त जामैला!

स्वाभिमान नै टीयो दिखावणियां रो

माथो भांगैला!

ऊथळो मांगैला

चाणक्य रा नीत-मन्त्र!

चन्द्रगुप्त रो भुजबळ मांगैला

आपरो तन्त्र!

विजै-गीत गावैला चारण-भाट

उतर रैयो है

धरती उपरां अेक आतमबळ विराट!

इतिहास दुसरावैला आपरी रीत

होवै लागी अबै परतीत!

अणतकाळ सूं रुप्योड़ी है

अेक जंगी-राड़!

पटकपछाड़

देव-दानां रै बीच कद रैयो सम्प

दिसावां मांय भरीजग्यो है कम्प!

जद-जद आडा आवै दधीचि रा हाड़

स्याणा कथै जड़ लेवो किंवाड़

राड़ आडै बाड़ चोखी

पण के ठा! कुण, किणरो है दोखी!

बरतीजै, जद बिरत्यां

गम जावै सिमरत्यां

सुभावां री होवै ओळखाण

बिरळबाण होय जावै

धरम-करम अणजाण

जद होवण लागै इसी परतीत

अर भिसळ जावै मानखै री नीत

दग न्याय नै

गोडालाठी लगायनै

नाख देवै पसवाड़ै

नागी नाचण लागै अनीत चौड़ैधाड़ै

जणा भावना’र विवेक रै संजोग

मानखै रै गरभ पड़ै

बो अेक जोग!

कांई होवै लागी इसी परतीत?

बोल-बोल!

मनगीत!

अनुभव है जुगां री अेक सांच

अेकर ‘गीता’ नै बांच!

‘रामायण’ नै गा!

उण कथ सूं हेत लगा!

जिको है बिरम रै उणियार!

बो धरै चाणक्य-चन्द्रगुप्त रो आकार!

नांवसोक मन मांय चींत!

दखाँ, किसीक होवै परतीत!

इयां कितराक दिन चालसी

पाखंड-तणो वंस?

छेवट, इण बजराक सूं मर्‌यां सरसी कंस!

घणा दिन नी रैयग्या है बाकी

चाल रैयी है काळ-तणी चाकी

नौवों-म्हीनों लागग्यो है आज

नेड़ै-ई है जै अर जीत!

होवै लागी परतीत!

मैं,

पीड़ रै साथै उछाव नै अनुभवूं!

मैं,

काळधणी नै माथो निवूं!

म्हारी पीड़

‌अेक खुसी री पीड़ है

काळधणी री पगचाप

बगावत रो घम्मीड़ है!

साव दीसै ममता

जामण री खिमता

भविष्य रो अेक सुपनो प्यारो

म्हारी आंख रो तारो

लाखूंलाख सुरजां सूं बेसी है!

सांसां मांय बापरै!

बो नी है अबै घणो आँतरै!

बो है म्हारो म्हागीत!

बो है सागण परतीत!

स्रोत
  • पोथी : कूख-पड़यै री पीड़ ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकान्त ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै