बापू रौ चसमौ

जठा लग अजायबघर में पड़्यौ रह्यौ

छांनौ मांनौ

तठा लग म्हे वांरै नजरिया नै

अरथावता रह्या

म्हे सगळा जाणता छा मनोमन

के रांमराज नीं सही

गांधीराज में तौ पूग जावांला

जे हालता रह्या।

पण भांय बेसी छी

अर होळै छौ म्हांरौ वेग

तौ

घाल दियौ भाखड़ा में पांणी

अर बोकारौ में इस्पात

चांणचक लारलै दिनां

चौमासा टाळ खींवी बिजळ्यां

पळका माथै पळका पाड़ती

गाजती अणमाप

उणरै चानणै लोग व्हैग्या चकन-बगन

पर पळका रै मेट व्हैतां

पसरग्यौ चारूंम्हेर अंधारौ।

नवा आगीवांण

धकै हालता छा नायकां री जात

वांरै हाथां में छी मसालां री फोटुवां

बतावण नै के देखौ चांनणौ!

म्हे पतियारौ करां उणसूं पैली जांणग्या

मसालां री फोटू में कठै व्है चांनणौ

वांरै पाखती फगत फोटू छा!

चांणचक अेक दिहाड़ै

सफाई रा विग्यापन में परगट्यौ

बापू रौ चसमौ फोटू बण

फोटूवाळौ चसमौ

धकै देखण री बांण जांणतौ नीं छौ!

तौ चूकता पोस्टरां रै अेक कुणै में

मंड्यौ पड़्यौ छौ

रिपियां रा नोट माथला फोटू दाकल

जिकौ जांणै नीं के

जी.डी.पी. रौ आंक क्यूं पड़ै?

अबै करां कांईं?

बापू रौ चसमौ छै

पण वांरी आंख्यां कोनीं

आंख बिना चसमौ कांई काम रौ?

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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