धोरा मांय
डरूं-फरूं बोया
आस रा बीज
भाठा रोप
उगाया
रूंख
सोच्यो हो—
मिट जासी
सगळी ही अबखायां
पण
सीख नीं सक्यो
बगत रो
काण-कायदौ
पछै
किंया भागतो काळ।