अमूझो ढोंवती
अर सरणाटा सैंवती
हवेली री
तोड़ सूनवाड़
झड़काय रज्जी
धोय-पूंछ कबूतरां री बींट
करा’र रंग रोगन
चमचम
चमकाय दीनी हवेली!
खोल दी प्रोळ
हवेली री
पर्यटकां नै
देखण-परोटण नै
दादै रै पोते
अर दादै री
सूनी-सूनी आंख्यां
देख रैयी है
बा हवेली...
आ हवेली।