कमल रंगा जलम: 1956 bikaner सुपरिचित कवि-गद्यकार। 'अलेखूं अंबा' नाटक पर केंद्रीय साहित्य अकादेमी रौ सिरै पुरस्कार।
आगलै बसंत तांई आस इणी में अेक बीजै सूं बस तणी देही धीवां जगां-जगां जीवूं उडीक में खोल दी प्रोळ खुद रै आलणै नैं मा- इण रूप में मा- कीं चितराम मांडवी मा'सा आउट ऑफ रेंज है पड़तख बसै पटराणी सबद स्वयंवर ऊजळौ पख उलथौ विधना